मैं क्या हूँ ? किस योग्य हूँ ? मेरी क्षमता क्या है ?
मैं, सर्वशक्तिमान परमात्मा और उनकी सहमति से नियुक्त विगत शताब्दियों से हमारी वंशावली के कुल-देवता श्री हनुमानजी द्वारा नियंत्रित एक अकल खिलौना मात्र हूँ ।
इस आत्मकहानी को प्रकाशित करने की सम्मति और प्रेरणा मुझे इन्ही यंत्री से प्राप्त हुई और आज भी अविरल प्राप्त हो रही है । जीवन में प्रति पल मेरी एक एक हरकत को संचालित कर सफलता प्रदान करवाने वाले उस अदृश्य करुणा सागर कृपा निधान सर्वशक्तिमान यंत्री की असंख्य अहेतुकी कृपाओं के सम्बन्ध में यहाँ कुछ कह पाऊँ यह मेरी क्षमता के परे है । फिर भी जितना “वह" लिखवायेंगे, लिखूँगा मैं ।
अपने कुल-देवता हनुमानजी से मेरी प्रार्थना है -- हे संकटमोचन, विक्रम, बजरंगी, महावीर हनुमानजी, तुमने जीवन भर मुझ पर अपनी अहैतुकी कृपा की अमृत वर्षा की है, मैं पल पल केवल तुम्हारी करुणा के सहारे ही जिया हूँ, एक एक क्षण स्मरणीय है, उनमें से किन किन को याद करूँ, किन्हें भुलाऊं, समझ नहीं पा रहा हूँ, अस्तु हे कुलदेव, अपनी कृपा बनाये रहो, हे नाथ, मेरा मार्ग दर्शन करते रहो, मुझे याद दिलाते रहो, मुझे प्रेरणा देते रहो । कृपा करो कुलदेव हम पर कृपा करो ।
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